
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस अब 50 साल से कम उम्र के युवाओं को जिलाध्यक्ष नियुक्त करेगी। पार्टी ने साफ किया है कि संगठन सृजन की प्रक्रिया में 50% युवाओं को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
बिलासपुर दौरे के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने ये बात कही है। उन्होंने कहा कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में न तो गुटबाजी चलेगी और न ही किसी नेता की व्यक्तिगत पसंद चलेगी। केवल पार्टी की विचारधारा से जुड़े और समर्पित कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाएगा।
इसके साथ ही नियुक्तियों में जातिगत समीकरण का भी ध्यान रखा जाएगा, ताकि संगठन में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।
कांग्रेस का संगठन सृजन अभियान शुरू
दरअसल, दीपक बैज 9 अक्टूबर को निजी प्रवास पर बिलासपुर पहुंचे थे। इस दौरान मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का संगठन सृजन अभियान शुरू हो गया है।
इसके तहत प्रदेश में जिला कांग्रेस कमेटी (ग्रामीण और शहर) के अध्यक्ष पद का चयन भी किया जाएगा। इसके लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने राष्ट्रीय स्तर के 17 नेताओं को पर्यवेक्षक बनाया है।
जिलेवार पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई
दीपक बैज ने कहा कि प्रदेश में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर नेता और कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है। संगठन सृजन अभियान के तहत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी से नियुक्त 17 से अधिक पर्यवेक्षक अलग-अलग जिलों में जाएंगे।
अब तक 14 से अधिक ऑर्ब्जवर आ चुके हैं और अपने-अपने प्रभार वाले जिलों में जा रहे हैं। इस दौरान वो कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से रायशुमारी करेंगे।
कार्यकर्ताओं को अपनी पसंद का अध्यक्ष मिलेगा
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है, जहां लोकतांत्रिक तरीके से संगठन के पदाधिकारी का चयन किया जाता है। कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर उनकी पसंद के मजबूत अध्यक्ष का पैनल बनाकर हाईकमान के माध्यम से नियुक्ति की जाएगी।
जातिगत समीकरण का रखा जाएगा ध्यान
दीपक बैज ने कहा कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में जातिगत और सामाजिक समीकरण का भी ध्यान रखा जाएगा। जिन जिलों में आदिवासी, ओबीसी, सामान्य या अन्य वर्गों की बहुलता होगी, वहां उसी के अनुसार नियुक्ति की जाएगी, ताकि हर वर्ग को संगठन में प्रतिनिधित्व मिल सके।
जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में गुटबाजी नहीं चलेगी
यह संगठन सृजन की प्रक्रिया है, जिसमें चयन का आधार केवल कांग्रेस की विचारधारा और कार्यकर्ताओं का समर्पण होगा। नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रहेगी। किसी नेता की व्यक्तिगत पसंद या गुटबाजी के आधार पर जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं की जाएगी।
आपराधिक प्रकरण नहीं छिपा सकेंगे दावेदार
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने जिलाध्यक्ष पद के लिए आवेदन पर्यवेक्षकों के पास जमा होंगे। पार्टी ने आवेदन पत्र का एक नया प्रारूप जारी किया है, जिसमें कई बिंदू हैं पर दो अहम बिंदुओं पर विशेष रूप से जानकारी मांगी गई है।
पहला बिंदु आपराधिक प्रकरण से संबंधित है, जिसके अंतर्गत अगर किसी भी आवेदक पर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज है, तो उसे विस्तार से विवरण देना अनिवार्य किया गया है। इसमें मुकदमें, धाराएं, वर्तमान स्थिति और संबंधित न्यायालय की जानकारी शामिल होगी।
दूसरा प्रमुख बिंदु पार्टी निष्कासन से संबंधित है। अगर किसी आवेदक को अतीत में कांग्रेस पार्टी से निष्कासित किया गया है, तो उसे स्पष्ट रूप से कारण, समयावधि और बाद में मिली माफी या पुनः सदस्यता की जानकारी देनी होगी। पार्टी इस प्रक्रिया के माध्यम से साफ-सुथरी छवि वाले नेताओं को संगठनात्मक जिम्मेदारी देना चाहती है।
राजनीतिक और संगठनात्मक पृष्ठभूमि की भी होगी जांच
इसके अलावा आवेदन पत्र में आवेदक से उसकी राजनीतिक पृष्ठभूमि की सामान्य जानकारी भी मांगी गई है। इसमें यह पूछा गया है कि उसने अब तक किन-किन पदों पर कार्य किया है, पार्टी के प्रति उनकी सक्रियता कैसी रही है। समाज में उसका जनाधार कितना मजबूत है।
संगठनात्मक भूमिका के तहत यह भी स्पष्ट करना होगा कि आवेदक ने किस स्तर पर पार्टी के लिए कार्य किया है जैसे ब्लॉक, जिला, प्रदेश स्तर। सभी आवेदन पत्र समय सीमा में पार्टी पर्यवेक्षकों को सौंपने होंगे। पर्यवेक्षक इन आवेदनों की जांच कर योग्य उम्मीदवारों की सूची तैयार करेंगे, जिसे आगे की प्रक्रिया के लिए राज्य नेतृत्व को भेजा जाएगा।




